Ahinsa Parmo Dharma Shlok – अहिंसा परमो धर्म : आज हम अहिंसा परमो धर्म श्लोक को जानेगे साथ ही इसका मतलब क्या होता है जानेगे .

Ahinsa Parmo Dharma Shlok – अहिंसा परमो धर्म
“अहिंसा परमो धर्म:,धर्म हिंसा तथैव च ।
अर्थ – अहिंसा मतलब किसको तकलीफ नहीं देना ही परमो धर्म मतलब सबसे बड़ा धर्म है अगर धर्म के लिए हिंसा करना पड़े अर्थात धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना भी धर्म है
अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है, और धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना उस से भी श्रेष्ठ है..!!।
अहिंसा परमो धर्मः तथाहिंसा परम तपः।
अर्थ – अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है, और वह सत्य पर ही टिका होता है। सत्य में निष्ठा रखते हुए ही कार्य संपन्न होते हैं।
अहिंसा परमं सत्यं यतो धर्मः प्रवर्ततते।।
अहिंसा सर्वभूतेभ्यः संविभागश्च भागशः ।
अर्थ – सभी प्राणियों के प्रति अहिंसा बरतना, सभी को यथोचित भाग सोंपना, इंद्रिय-संयम, त्याग, धैर्य एवं सत्य पर टिकना अवभृत स्नान के तुल्य (पुण्यदायी) होता है।
दमस्त्यागो धृतिः सत्यं भवत्यवभृताय ते ॥18॥
अहिंसा परमो धर्मस्तथाहिंसा परं तपः ।
अर्थ – अहिंसा परम धर्म है, अहिंसा परम तप है, और अहिंसा ही परम सत्य और जिससे धर्म की प्रवृत्ति आगे बढ़ती है।
अहिंसा परमं सत्यं यतो धर्मः प्रवर्तते ॥23॥